Saturday 25 August 2012

Shri Purushottam Maas


|| श्री पुरुषोत्तम मास ||
सनातन धर्म में अधिक मास का महात्म्य बहुत ही अधिक है कहा भी गया है कि “ अधिकस्य अधिकं फलं “ अधिक में कोई भी पुण्य कार्य का फल भी अधिक ही मिलता है,पूरे वर्ष जो जप,दान,यज्ञ इत्यादि हम करते हैं,और उसका जो फल हमें प्राप्त होता है,वह फल हमें इस एक महीने में ही मिल जाता है,इसकी एक कथा पुराणों में प्रसिद्द है कि इसका नाम पुरुषोत्तम क्यों रखा गया ,वैसे तो इसे अधिक मास या मल मास के नाम से जाना जाता था ,ज्योतिष के अनुसार हर तीसरे वर्ष में १२ महीने कि जगह १३ महीने होते हैं,और हर एक महीने का नाम एक देवता के नाम के साथ जुडा हुआ है,परन्तु इस १३ वे मास को सभी अधिक या तो मल के नाम से बुलाते थे इस से उस मास को बहुत ही क्लेश हुआ और उसने सभी देवताओं से अपना नाम उसे देने कि विनती कि,परन्तु सभी ने मना कर दिया फिर वह दुखी होकर प्रभु के पास गया और उनसे विनती की,प्रभु ने उसे अपना नाम ही दे दिया “पुरुषोत्तम मास” साथ ही यह वर भी दिया कि इस मास में जो पुण्य कार्य किये जायेंगे उनका फल भी अधिक मिलेगा,उस दिन से अधिक का नाम पुरुषोत्तम हो गया.

परन्तु पुष्टिमार्ग में यह मास प्रभु के मनोरथों के साथ  कैसे जुड़ा?उसका कारण यह है कि प्रभु सेवा का प्रकार प्रणालिका के आधार पर चलता है जो श्री गुसांईजी के आज्ञा किये हुए क्रम पर आधारित है,परन्तु इस १३ वे महीने का कोई भी क्रम न होने के कारण यह निश्चित हुआ कि इस पुरुषोत्तम मास में १२ हों महीने के मनोरथ हो सकेंगे एवं श्रृंगार भी इच्छानुसार परन्तु ऋतु को ध्यान में रख कर किये जायेंगे,इस कारण से इस मास में सभी मनोरथ अंगीकार कराये जाते हैं |

यह मास पुष्टि और मर्यादा दोनों का मिश्रण है,इसमें मनोरथ भी होते हैं,प्रभु को नूतन सामग्रियां भी अंगीकार कराई जाती हैं,एकादशी का उपवास भी अवश्य किया जाता है,और दान पुण्य भी होते हैं,परन्तु पुष्टि में फल कि इच्छा से कुछ भी नहीं किया जाता है,सिर्फ प्रभु सुख की भावना से से ही मनोरथ करने चाहिये,और ऋतु को भी ध्यान में रखना चाहिए,प्रभु सुख में ही हमें आनंद होना चाहिए.यही पुष्टिमार्ग की भावना है |

11 comments:

  1. sarkar... koti koti dandvat pranam...

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  2. Its great to know importance of adhik maas

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  3. Its good to know the importance of Adhik Maas in Pushtimarg ,We wish if we can get more information like this for all our utsavs and also kirtans for those utsavs

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    1. Blessings Raj, i am happy that you liked the blog.constructive suggetions r always welcome. I will keep in mind yr suggetion.

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  4. Dandvat Pranam Jeje , very well explained !
    Neha aur sharan ke purushottam mahina ke Pranam

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    1. Blessings neha,it's good to know that you liked the mahaatmya of purushottam maas.blessing to sharan.

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  5. DANDVAT PRANAM -VKD mukesh.SARKAR KI jAY HO ! We the vaishnavs blessed enough by your kind selves, for getting this APTATIM VACHNAAMRUT,
    SARKAR KI JAY HO !

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  6. परन्तु पुष्टि में फल कि इच्छा से कुछ भी नहीं किया जाता है,सिर्फ प्रभु सुख की भावना से से ही मनोरथ करने चाहिये,और ऋतु को भी ध्यान में रखना चाहिए,प्रभु सुख में ही हमें आनंद होना चाहिए.यही पुष्टिमार्ग की भावना है | Jay Ho ! Dandvat Pranam from VKD mukesh

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  7. Blessings Mukeshbhai, i am happy that you are following blog,keep it up.

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  8. Dandvat Pranam JJ.. Ati sundar...

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